Saturday 1 September 2012

नितीस बनाम राज ठाकरे की लड़ाई को बिहार बनाम मुंमबई की लड़ाई बनाने की गलती न करो मेरे यारो!

देखो जरा चैन से बैठकर सोचो कि ये लड़ाई विहारियों के विरूद्ध है या उन वंगलादेशी घुसपैठियए मुसलमानों के बिरूद्ध जो खुद को कभी उतर प्रदेश के, तो कभी विहार के, तो कभी पशिचम वंगाल के बताकर सारे देश में इसालमिक आतंकवाद का एक ऐसा तानाबान बना चुके हैं जिसे हिन्दूओं की रक्षा के लिए तोड़ना जरूरी ही नहीं बल्कि हम सब की मजबूरी भी है।ध्यान खो हम यहां उन बंगलादेशी घुसपैठिए मुसलमानों की बात कर रहे हैं  जो विहार, उतर प्रदेश व पशिम वंगाल के ना3म पर अपनी गलत पहचान बताते हैं।

अब प्रशन उठता है कि राज ठाकरे का आज का ब्यान बिहारियों के विरूद्ध है याफिर विहारियों की आड़ में मुमबई को नर्क बनाने पर तुले घुसपैठिए मुसलमानों के विरूद्ध। हमें तो पहले ही शक था कि राज ठाकरे क्योंकि अभी नए हैं इसलिए सीधा मुसलमानों का विरोध करने का साहस नहीं दिखा पा रहे हैं इसलिए गुसपैठिए मुसलमानों का सीधा नाम लेने के बजाए विहारियों का नम लेकर इन इसलामिक आतंकवादियों को निशाना बना रहे हैं लेकिन राज ठाकरे के आज के ब्यान से सपष्ट हो गया कि उनके निशाने पर मुसलमान हैं न कि विहारी कैसे?

राज ठाकरे ने कहा कि अगर मुमबई में अमर जवान समारक तोड़ने वालों को पकड़ने गई मुमबई पुलिस, का अगर वहां की सरकार ने विरोध किया तो वो सब बिहारीयों को घुसपैठिए समझ कर बाहर निकाल देंगे।

अब आप कहेंगे किठाकरे ने धुसपैठिए मुसलमान नहीं कहा ।आपको समझना चाहिए कि अमर जवान समारक को किसी हिन्दू या विहारी ने नहीं तोड़ा इस समारक को तोड़ा मुसलमान ने ।अभी भी ठाकरे की ताकत इतनी नहीं बढ़ी है कि वो वर्षों से ढोरा जमाए बैठे घुपैठिए मुसलमानों को सीधा निशाना बना पायें इसलिए ठाकरे ने शहीद समारक को अपमानित करने की बात जोड़कर सबको अपने इरादों का साफ संदेश दे दिया।

अब आप कहेंगे कि नितीस का  नाम बीच में कैसे आया ? हम सबको याद रखना होगा कि नितीस वो गद्दार बनेने की राह पर है जो गद्दारी मुलायम सिंह यादब व दिगविजय सिंह इसलामिक आतंकवादियों के साथ खड़े होकर वर्षों से कर रहे हैं।

ये तो भाजपा की आत्मगाती मूर्खता है जो इस गद्दार से अपना सबन्ध नहीं तोड़ रही। ये काम 2004 में ही हो जाना चाहिए था।

आपको याद होगा कि जब बंगलौर पुलिस ने विहार से इसलामिक आतंकवादियों को गिरप्तार किया था तो इस नए नवेले गद्दार ने ढटकर विरोध किया था इसीलिए राज ठाकरे को ये ब्यान देने के लिए मजबूर होना पड़ा। ये भी हो सकता है कि नितीस कुमार द्वारा आतंकवादियों के पकड़े जाने का विरोध करने की सूचना वहां की सरकार ने ही राज ठाकरे को दी हो । 

देशभक्तों का वोट खोते जा रहे नितीस अब तुष्टीकरण की नीति के सात-साथ क्षेत्रवाद को भी अपने हथियार की तरह प्रयोग कर रहे हैं इसलिए ये लड़ाई राज ठाकरे बनाम नितीस की है न कि किसी और की।

अन्त में इतना ही कहेंगे कि जो भी व्यक्ति किसी भी हिन्दू से जाति, क्षेत्र या भाषा के आधार पर भेदभाव करता है वो देशभक्तों की निगाह में कभी मान-समान का पात्र नहीं हो सकता इसलिए राजठाकरे को आतंकवादी मुसलमानों के विरूद्ध सीधा वोलना चाहिए अगर ताकत नहीं हैं इन आतंकवादियों का विरोध करने की तो खामोश रहना चाहिए ।

आओ अन्त में हम सब प्रण करें कि अपने आसपास गदुसपैछ कर चुके इन इसलामिक आतंकवादियों को ढूंढ कर देश से बाहर निकलें ।

1 comment:

  1. आप की बात से सहमत हूँ ऐसा हो सकता है किन्तु जातिवाद और क्षेत्रवाद की बात से हमारा आपसी सद्भाव प्रभावित हो सकता है ये बात भी राज ठाकरे को समझनी चाहिए जिससे की हम सब मिलकर आतंकवाद और आतंकवादी को भली प्रकार से पहचान कर इस समस्या का मुकाबला कर सकें और तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले जयचंद के रिश्तेदारों को राजनीती से बाहर खदेड़ सकें ,धन्यवाद

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