Wednesday, 15 April 2009

ये तो देश का सौभाग्य है कि अडबानी जी हिन्दुत्वनिष्ठ देशभक्त संगठन के गुलाम हैं मनमोनहन सिंह की तरह किसी तेरे जैसी हिन्दुविरोधी-भारतविरोधी के नहीं

एंटोनियो के हिन्दुविरोधी षडयन्त्र
क्या आपने कभी फुर्सत के क्षणों में इस सरकार द्वारा भारतीय संस्कृति के आधार स्तम्भ भगवान राम के अस्तित्व पर किए जा रहे हमले के पीछे छुपे संदेश व कारण को समझने का प्रयास किया नहीं न आओ मेरो साथ मिलकर सोचो ।

जिस दिन एंटोनियो माइनो मारीयो को भारत में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई उसी दिन से भारतीय संस्कृति बोले तो हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने के प्रयत्नों को नई ताकत मिली असली हमला तो तब शुरू हुआ जब देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह ने एंटोनियो माइनो मारीयो को अपना प्रमुख चुन लिया ।
जब देशभक्त भारतीयों ने इस विदेशी ईसाई मिशनरी का प्रधानमन्त्री बनने का विरोध किया तो तर्क दिया गया कि, इसकी शादी एक हिन्दू से हुई है इसलिए एंटोनियो माइनो मारीयो हिन्दू हो गई ,जो कि सरासर झूठ है । लोगों को उसी तरह गुमराह करने का षड्यन्त्र है जिस तरह लोगों को इसका असली नाम एंटोनियो माइनो मारीयो न बताकर एक हिन्दू नाम बताकर व अंग्रेजी परिधान(जो हिलेरी कलिंटन व एंटोनियो की माता जी पहनती हैं) की जगह हिन्दू परिधान बोले तो भारतीय परिधान पहनाकर सच को छुपाकर हिन्दू के रूप में दिखाकर किया गया । आज भी ये प्रयत्न यथावत जारी है ।
अगर ये हिन्दू हो गई होती तो क्या ये अपनी बेटी की शादी एक हिन्दु से नहीं करती (हालांकि शादी/पूजा करनी न करनी किससे/कैसे करनी निजी मामला है पर जोर-शोर से फैलाए जा रहे झूठ को बेनकाब कर देश को इस गुलामीं के दौर से बाहर निकालना जरूरी है) हिन्दू धर्म अपनाने की एक शुद्धी प्रक्रिया है वो भी उन हिन्दुओं की घरवापसी के लिए है जो जिहादियों व धर्मांतरण के दलालों के चंगुल में फंस कर या उनके अत्याचारों से तंग आकर अपनी पूजा-पद्धति बदल लिए ।एंटोनियो इस पद्धति के योग्य है ही नहीं। फिर भी क्या एंटोनियो उस शुद्धी प्रक्रिया से गुजरी ? नहीं न । फिर ये झूठ किस लिए ?
अगर इस झूठ को मान भी लिया जाए तो भी एक विदेशी को देश को गुलाम बनाने का अधिकार नहीं दिया जा सकता चाहे वो परावर्तित हिन्दू ही क्यों न हो । हम देशभक्त ईसाईयों से विनम्र प्रार्थना करते हैं कि वे एंटोनियो और देश में सक्रिय अन्य ईसाई मिशनरियों से अपने आप को अलग कर लें वरना इन विदेशियों द्वारा किए जा रहे हिन्दू विरोधी देश विरोधी कार्यों की कीमत कहीं उनको न चुकानी पड़ जाए ?
§ क्योंकि सच्चाई यह है कि एंटोनियो माइनो मारीयो एक अंग्रेज ईसाई है और हिन्दुओं व हिन्दूसंस्कृति बोले तो भारतीय संस्कृति को तबाह बर्बाद करने के हरेक प्रयत्न का प्रेरणा स्रोत व ताकत है बोलने से क्या फर्क पड़ता है आओ जरा कर्म देखें सबसे पहला कदम कांग्रेस के पहले शूद्र अध्यक्ष सीता राम जी केसरी को अपमानित कर हटाना व खुद को उस कुर्सी पर बिठाना। कांग्रेस के महत्वपूर्ण पदों से चुन चुन कर ताकतवर हिन्दू नेताओं को हटाना व हर जगह ईसाईयों को आगे बढ़ाना ।
§ एंटोनियो माइनो मारियो के इस कुर्सी पर पहुंचने व पकड़ मजबूत करने की प्रक्रिया में देश को स्वर्गीय संजय गाँधी, स्वर्गीय राजीव गाँधी, स्वर्गीय माधव राव सिन्धिया व स्वर्गीय राजेश पायलट जैसे हिन्दुओं को खोना पड़ा और संयोग देखिए इन सब का आकस्मिक स्वर्गबास हुआ । इसे भी संयोग ही कहेंगे कि इन में से अगर एक भी जिन्दा होता तो आज भारत सरकार इस विदेशी अंग्रेज की गुलाम न होती ।
§ क्या यह भी संयोग ही है कि भारतीय जनता को यह तक न बताया गया कि यह अंग्रेज कौन है ? इसके माता-पिता क्या करते थे ,या करते हैं ?
§ क्या ये भी संयोग ही है कि जिस क्वात्रोची का पैसा छुड़वाने के लिए इस अंग्रेज की गुलाम सरकार के कानूनमन्त्री को रातों-रात लंदन जाना पड़ता है ? उसी क्वात्रोची के बारे में यह समाचार आता है कि स्वर्गीय राजीव गाँधी जी के कत्ल से पहले इस क्वात्रोची की मुलाकात एल.टी.टी.ई प्रमुख प्रभाकरण के दूत वालासिंधम से फ्रांस के एक होटल में हुई थी।
क्या यह भी एक संयोग ही है कि जिस बैबसाइट हिन्दूयुनिटी डाट काम पर इस समाचार व ऐसे षडयन्त्रों की सच्चाई को जन जन तक पहुँचाने का प्रयत्न किया जाता है उसे यह गुलाम सरकार बलाकॅ कर देती है !
§ क्या ये भी एक संयोग ही है कि 1997 में जिस डी.एम.के को राजीव जी के कत्ल के लिए जिम्मेवार ठहराकर कांग्रेस ने सरकार गिराई उसी डी.एम.के के साथ मिलकर एंटोनियां ने 2004 में प्रधानमंत्री बनने की कोशिश की।
§ क्या ये भी संयोग ही है कि पिछले लगभग पांच वर्षों से एंटोनिया की गुलाम सरकार सता में होने के बाबजूद राजीव जी के कत्ल की तह तक पहुंचने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया उल्टा कातिलों के प्रति सहानुभूति दिखाकर जांच को बाधित करने के प्रयत्न किए गए ।
§ ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जिन लोगों को राजीव जी के कातिलों को बेनकाव करने की जी तोड़ कोशिश करनी चाहिए थी उन लोगों ने ही अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए षडयन्त्र की तह तक पहुंचने के सारे रास्ते बन्द कर दिए।

क्या इसे भी एक संयोग ही मानें कि जब से यह अंग्रेज नेत्री विपक्ष बनीं फिर नेत्री सरकार तब से कभी हिन्दूराष्ट्र भारत को ईसाई बना देने की पोप द्वारा घोषणा,कभी टेरेसा तो कभी केरला की किसी और महिला को अलंकृत कर चर्च द्वारा ईसाईयत का प्रचार-प्रसार, पोप की मृत्यु पर धर्म निर्पेक्ष सरकार द्वारा तीन दिन का शोक और मानो यह सब ईसाईयत के प्रचार-प्रसार के लिए काफी न हो तो साधु सन्तों का ईसाईयों द्वारा कत्ल और इस से भी काम न चले तो फिर साधु-सन्तों-सैनिकों को झूठे आरोप लगाकर बदनाम करना और फिर हिन्दू आतंकवादी कहकर जेलों मे डालना और अमानवीय यातनांयें देकर प्रताड़ित करना । जले पर नमक छिड़कने के लिए मर्यादापुर्षोत्तम भगवान राम के अस्तित्व को नकारना ।
अब आप इन सब घटनाओं-दुर्घटनाओं को संयोग कहते हो तो कहो पर हिन्दू जनता इसे संयोग नहीं षड्यन्त्र मानती है। भविष्य में बनने वाली किसी भी राष्ट्रवादी सरकार से मांग करती है कि सत्ता में आते ही सबसे पहले इस अंग्रेज एंटोनियो माइनो मारियो को गिरफ्तार कर इसका नार्को टैस्ट करवाकर इस हिन्दुविरोधी-देशविरोधी षड्यन्त्र की तह तक पहुँचा जाए और दोषियों को फांसी पर लटकाया जाए ।
पता लगाया जाए कि हिन्दुओं को बदनाम कर हिन्दुस्थान को तवाह करने के षड्यन्त्रों को आगे बढ़ाने के लिए कहीं ईसाई देशों की खुफिया एजैंसियों की मदद तो नहीं ली जा रही और अगर राष्ट्रवादी सरकार नहीं बन पाती है तो सेना को शासन अपने हाथ में लेकर इस षड्यन्त्र का पर्दाफास कर देश को बर्बादी से बचाना चाहिए।
§ आज अगर आप कांग्रेस के कोर ग्रुप पर या सरकार के मालदार पदों पर नजर दौड़ाएं तो आपको दूर-दूर तक कांग्रेस के कोटे का कोई ताकतवर हिन्दू नेता नजर नहीं आएगा। सब जगह या तो ईसाई नजर आंएगे या फिर वे कमजोर हिन्दू जिनका अपना कोई जनाधार न होने के कारण उनके पास अपना स्वाभिमान व देशहित बेचकर एंटोनिया की गुलामी करने के सिबाय कोई और रास्ता नहीं है ।
· आप सबको याद होगा श्रीमति प्रतिभा पाटिल जी राष्ट्रपति कैसे चुनी गईं लेकिन एंटोनियो को उन पर भी भरोसा नहीं इसलिए उनका निजी सचिव भी ईसाई बनवाया। समझने वालों को संदेश बिल्कुल साफ है कि या तो ईसाई बनो या गुलाम नहीं तो कांग्रेस के कोर ग्रुप या सरकार के मालदार पदों को भूल जाओ ।
· जो ताकतवर हिन्दूनेता हैं उनको कमजोर करने के लिए एंटोनियो माइनो मारीयो किसी भी हद तक जा सकती है इसका प्रमाण देखना हो तो आपको हिमाचल कांग्रेस में ताकतवर हिन्दूनेता राजा वीरभद्र सिंह जी की जगह ईसाई विद्या सटोक्स को विपक्ष का नेता बनाने के घटनाक्रम को ध्यान से समझना होगा ।
ü यह घटनाक्रम सामने आना शुरू होता है अगस्त 2006 में एंटोनियो माइनो मारीयो के हिमाचल दौरे से। यह वह वक्त था जब धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाईयों व देशभक्त हिन्दुओं के बीच धर्मांतरण के मुद्दे पर संघर्ष अपने चरम पर था। एक तरफ ईसाई केन्द्र में अंग्रेज एंटोनियो की गुलाम सरकार होने से उत्साहित होकर चलाए जा रहे जबरदस्त धर्मांतरण अभियान को हिन्दुओं व उनके संगठनों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। दूसरी तरफ राज्य में कांग्रेस सरकार होने पर धर्मांतरण के लिए जो अनुकूलता, सहयोग व सुविधायें देश के अन्य राज्यों में मिल रही थीं वे हिमाचल में नहीं मिल पा रही थीं क्योंकि राजा वीरभद्र सिंह जी छल कपट व आर्थिक अनियमितता से करवाए जा रहे धर्मांतरण के विरूद्ध थे । ऊपर से हिन्दुओं के वापिस अपने हिन्दू धर्म में लौटने के घर वापसी अभियान की सफलता से धर्मांतरण के दलाल देशी विदेशी ईसाई मिशनरी छटपटाए हुए थे।
दिल्ली में बैठे धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाईयों ने जब एंटोनिया को यह सबकुछ बताया तो एंटोनिया के क्रोध का ठिकाना न रहा और एकदम घूमने के बहाने शिमला आई और यहां पर हिमाचल में सक्रिय धर्मांतरण के ठेकेदार ईसाईयों ने धर्मांतरण के काम में हिन्दूसंगठनों द्वारा पैदा की जा रही रूकाबटों व राजा वीरभद्र सिंह द्वारा अपनाए जा रहे न्यायसंगत रूख के बारे में बताया । बस फिर क्या था एंटोनिया ने आव देखा न ताव झट से राजा वीरभद्र सिंह जी को शीघ्रतिशीघ्र कठोर कार्यवाही कर धर्मांतरण के काम में आ रही रुकाबटों को दूर करने का आदेश दिया । राजा वीरभद्र सिंह जी ने भी ब्यान दे दिया कि हिन्दूसंगठनों से जुड़े कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा। लेकिन मन से तो राजा वीरभद्र सिंह जी धर्मांतरण के ठेकेदारों द्वारा धर्मांतरण के लिए अपनाए जा रहे असंवैधानिक अमानवीय तरीकों के विरूद्ध थे व हिन्दुओं व उनके संगठनों द्वारा चलाए जा रहे आन्दोलन की भी जानकारी उन्हें जरूर रही होगी जिसका बिराट रूप ठीक दो महीने बाद प्रदेशभर में आयोजित हिन्दूसम्मेलनों के रूप में देखने को मिला ।
ü राजा वीरभद्र सिंह जी के हिन्दुत्वनिष्ठ होने व बिराट हिन्दूसम्मेलनों का असर हिमाचल सरकार द्वारा लाए गए धर्म-स्वतन्त्रता विधेयक(इस कानून का महत्व समझने के लिए आपको ये ध्यान में रखना होगा कि किस तरह उतर पूर्व में इस सैकुलर गिरोह द्वारा प्रयोजित धर्मांतरण से वहां कई राज्यों की हिन्दू आवादी लगभग 100% तक ईसाई बना दी गई) के निर्बिरोध पास होने के रूप में दिखा । जिसकी सब देशभक्त व्यक्तियों ,संगठनों, राजनैतिक दलों, समाचारपत्रों,टी वी चैनलों ने दिलखोलकर प्रशंसा की व इसे देशभक्ति से ओतप्रोत सराहनीय ऐतिहासिक कदम बताया ।
लेकिन देशद्रोही हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह को यह बात नागवार गुजरी और इस गिरोह ने धार्मिक स्वतन्त्रता के नाम पर धर्म स्वतन्त्रता विधेयक का विरोध किया व देश विदेश में हिन्दुविरोधी-देशविरोधी अभियान चलाकर ईसाई देशों से दबाव डलवाकर और पत्र लिखबाकर मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह जी पर धर्म-स्वतन्त्रता विधेयक को वापिस लेने का दबाव बनवाया लेकिन राजा वीरभद्र सिंह जी ने हिन्दूहित-देशहित में लिए गए निर्णय से पीछे हटने से मना कर दिया ।
ü इनका यह निर्णय और भी महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्येंकि वह उस राजनीतिक दल से सबन्धित हैं जो देशद्रोही-हिन्दुविरोधी जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गिरोह का प्रमुख सदस्य है और जिसकी अध्यक्षा धर्मांतरण समर्थक अंग्रेज एंटोनियो माइनो मारीयो है । राजा वीरभद्र सिंह जी को इस राष्ट्रवादी हिन्दुत्वनिष्ठ काम की कीमत चुकानी पड़ी। एक उनकी इच्छा के विरूद्ध समय से पहले चुनाव करवा दिए जिसका विद्या स्टोक्स ने समर्थन किया, दूसरा उनकी योजना के अनुसार टिकटों का बितरण नहीं किया गया । कुल मिलाकर केन्द्रीय नेतृत्व के गलत निर्णयों की वजह से उन्हें चुनाव में हरबा दिया गया मानों इतने षड्यन्त्र काफी न हों तो एक कदम आगे बढ़कर एंटोनियो माइनो मारीयो ने अपनी योजनानुसार ईसाई विद्यास्टोक्स को नेता विपक्ष बनाकर हिमाचल में ईसाई शासन की नींब रख दी पर हमें पूरा भरोसा है कि हिमाचल की हिन्दुत्वनिष्ठ जनता एंटोनियो के इस षड़यन्त्र को कभी पूरा नहीं होने देगी । हिमाचल का हर प्रबुध नागरिक जानता है कि हिमाचल में वर्तमान में आज कांग्रेस जो भी है राजा वीरभद्र सिंह जी की वजह से है वरना एंटोनिया की हिन्दुविरोधी नीतियों की वजह से आज तक हिमाचल कांग्रेस की स्थिति गुजरात कांग्रेस जैसी हो चुकी होती ।
ü यह सब तब है जब हिमाचल में हिन्दू 98% से अधिक हैं । राजा वीरभद्र सिंह जी एंटोनियो के ईसाई जुनून का अकेले शिकार नहीं हैं । सत्यव्रत चतुर्वेदी(आपको याद होगा किस तरह मुस्लिम जिहादियों के ठेकेदार अमर सिंह द्वारा शहीद मोहन चन्द शर्मा जी का अपमान करने पर कांग्रेस ने खामोशी धारण कर ली लेकिन देशभक्त सत्यब्रत जी ने इस देशद्रोही हरकत पर अमर सिंह को पागल करार दिया) जैसे अनेक राष्ट्रभक्त कांग्रेसी आज वनवास काट रहे हैं । उन्हें सिर्फ एंटोनिया की गुलाम सरकार के हिन्दुविरोधी कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए आगे लाया जाता है । मेरा सभी देशभक्त हिन्दूकांग्रेसियों से अपनी चुप्पी तोड़ कर कांग्रेस को इस हिन्दुविरोधी देशविरोधी सोच से बाहर निकालने के लिए संघर्ष करने की विनम्र प्रार्थना है !
जागो ! हिन्दू जागो !
छतीसगढ और आंध्रप्रदेश में हिन्दुओं की संख्या 90% से अधिक होने के बावजूद एंटोनिया ने ईसाई मुख्यमन्त्री बनवाए ।
आंध्रप्रदेश में यह ईसाई मुख्यमन्त्री मुसलमानों को संविधान के विरूद्ध जाकर आरक्षण देता है । जब माननीय न्यायालय इस ईसाई को देशविरोधी-सांप्रदायिक निर्णय न करने का आदेश देता है तो यह ईसाई अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति को आगे बढ़ाते हुए संविधान के विरूद्ध जाना ही उचित समझता है,फिर ईसाईयों और मुसलमानों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करता है मानो 90% हिन्दुओं को हर अधिकार से वंचित करना ही इसकी आका विदेशी अंग्रेज एंटोनिया का एकमात्र लक्ष्य हो । मानो हिन्दुओं के खून पसीने की कमाई को यह ईसाई अपने बाप की कमाई समझता हो इसलिए येरूशलम यात्रा के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 80000 रू देने की घोषणा भी करता है । किसी ने क्या खूब कहा है- “ अंधा बांटे रेबड़ियां अपनो को मुड़-मुड़ दे ”। फिर हैदराबाद बम्ब धमाकों के आरोपियों को छोड़ कर आटो देने की घोषणा करता है मानो कह रहा हो- हिन्दुओं को इसी तरह मारते रहो ! देखा न क्या होती है हिन्दुविरोधी-देशविरोधी मानसिकता !
इसी तरह केन्द्रसरकार में अच्छा काम कर रहे हिन्दू श्री प्रणवमुखर्जी को रक्षामन्त्री के पद से हटाबाकर ईसाई एन्टनी को रक्षामन्त्री बनवाया । इस फेरबदल का सबसे बढ़ा कारण एंटोनिया का हिन्दुओं पर अविश्वास व अपने ईसाई संप्रदाय को आगे बढ़ाकर हिन्दुओं को महत्वपूर्ण पदों से दूर करना है । क्योंकि निकट भविष्य में खरबों रूपये के रक्षा सौदे होने वाले थे और उनसे मिलने वाले कमीशन की राशी अरबों रूपये तक जा सकती थी और इतनी बड़ी राशी अगर अकेले श्री प्रणवमुखर्जी जी के पास रह जाती तो वे बहुत ताकतवर हो जाते और अगर आपस में बांट ली जाती तो श्री नटबर सिंह जी की तरह कभी भी पोल खोल देते(आपको याद होगा कि किस तरह तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में दलाली का मामला सामने आने पर जब नटवर जी को बलि का बकरा बनाने की कोशिश सरकार द्वारा की गई तो उन्होंने सपष्ट कर दिया था कि ये सब एंटोनियो ने करवाया था । जरा सोचो जो एंटोनियो ईराक में भूखे मर रहे मुसलमानों के लिए जा रहे भोजन में भी दलाली ढूंढती है वो और क्या छोड़ेगी, नार्को करवाकर स्विस बैंक के खातों का पता लगाओ सब पर्दाफाश अपने आप हो जायेगा) । ऊपर से हिन्दू होने के नाते विश्वास भी तो नहीं किया जा सकता अपने संप्रदाय का थोड़े ही है । इसलिए हिन्दू प्रणबमुखर्जी को हटाकर अपने संप्रदाय के एंटनी जी को रक्षामन्त्री बनवाया ताकि सब काम आसानी से अंजाम दिये जा सकें । अगर ऐसा नहीं था तो फिर देश को बताया जाना चाहिए कि और क्या कारण था ?
रक्षा सौदों से क्वात्रोची के बारे में याद आया- कौन क्वात्रोची अरे वही क्वात्रोची जिसके बारे में कुछ समाचारपत्रों व इंटरनैट पर यह छपा था कि स्वर्गीय राजीव गांधी जी की हत्या से पहले फ्रांस के एक होटल में क्वात्रोची की बैठक एल टी टी ई प्रमुख प्रभाकरण के दूत वालासिंघम के साथ हुई थी, वही क्वात्रोची जिसके लंदन बैंक के खाते में पिछली सरकार द्वारा जब्त करवाए गए वोफोर्स दलाली काँड के पैसे को छुड़बाने के लिए वर्तमान सरकार में कानूनमन्त्री श्री हँसराज जी भारद्वाज विशेष रूप से लंदन गये ।
सोचने वाला विषय यह है कि बोफोर्स दलाली काँड के पैसे से न तो श्री मनमोहन जी का सबन्ध है न श्री हँसराज जी भारद्वाज का । फिर उनको ये सब करने की क्या जरूरत थी ? हमारे विचार में ये पैसे छुड़बाना इनकी जरूरत नहीं मजबूरी थी क्योंकि ये लोग जिस सरकार में मन्त्री हैं वह सरकार एंटोनियो माइनो मारीयो की गुलाम है और क्वात्रोची, एंटोनियो के परिबारिक मित्र हैं व उनके ऊपर ही वोफोर्स दलाली काँड में कमीशन खाने का आरोप है । बेचारे राजीव गांधी जी ब्यर्थ में षड्यन्त्र का शिकार हुए । हमारा तो शुरू से ही यह मानना था कि राजीव जी जैसा व्यक्ति यह सब नहीं कर सकता । इस लंदन भागमभाग से बिल्कुल स्पष्ट हो गया कि वोफोर्स दलाली काँड क्वात्रोची और एंटोनियो की साजिश थी क्योंकि अगर ऐसा न होता तो राजीव जी के कत्ल के षडयन्त्रकारी क्वात्रोची द्वारा दलाली में लिए गए पैसे को छुड़वाने की एंटोनियो को क्या जरूरत थी ?
जो देशबिरोधी-चापलूस एंटोनियो को त्याग की मूर्ति बताकर भोले-भाले हिन्दुओं को गुमराह करते हैं उन्हें एंटोनियो के इस रूप को भी नहीं भूलना चाहिए । कुछ लोग यह कुतर्क देते हैं कि एंटोनियो ने प्रधानमन्त्री पद को ठोकर मार दी , त्याग कर दिया हमें इनकी बेवकूफी पर गुस्सा नहीं तरस आता है कि जो एंटोनियो प्रधानमन्त्री बनने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति जी से झूठ बोलती हैं कि उसे 273 सांसदो का समर्थन प्राप्त है। वह झूठ सारे देश के सामने पकड़ा जाता है । वही एंटोनियो 2004 में प्रधानमन्त्री बनने के लिए फिर से मारी-मारी फिरती हैं वह भी उस स्थिति में जब कांग्रेस को बहुमत से लगभग आधी सीटें मिलती हैं । एंटोनियो राष्ट्रपति भवन जाती हैं खुद प्रधानमन्त्री बनने के लिए बुलाबा पत्र लेने के लिए लेकिन, देशभर में हो रहे विरोध व भारतीय संविधान की भाबना (एक्ट 1955 के अनुसार किसी देश के नागरिक को भारत में बसने पर उतने ही अधिकार मिलते हैं जितने किसी भारतीय को उस देश में बसने पर मिल सकते हैं) को ध्यान में रखते हुए जब बुलाबा पत्र नहीं मिलता है तो ह्रदय परिबर्तन हो गया, ठोकर मार दी, त्याग कर दिया, मातम मनाया गया, आँसु बहाए गए, पूरा फिल्मी ड्रामा रचा गया । भाबुक हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिए वो भी लाइब सरकारी चैनल पर । ये भी न सोचा कि ये सरकारी चैनल भारतीयों की खून पसीने की उस कमाई से चलते हैं जो टैक्स के रूप में दी जाती है ,देश के विकास के लिए न कि किसी विदेशी को सत्ता न मिलने पर उसकी नौटंकी देखने के लिए । किसी ने क्या खूब कहा है- हाथ न लागे थू कौड़ी ।
जो लोग इस अंग्रेज एंटोनियो को प्रधानमन्त्री बनाने के लिए इतने कुतर्क दे रहे थे , काश उन्हें याद होता- शहीद भगत सिंह जैसे नौजवानों का इस देश से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए फांसी पर झूलना । काश उनको ज्ञान होता भारत के उस कानून का जिसके अनुसार सेना का कोई अधिकारी किसी विदेशी से शादी नहीं कर सकता । फिर इन अधिकारियों से देश की सुरक्षा से सबन्धित गुप्त जानकारी लेने वाला प्रधानमन्त्री विदेशी कैसे हो सकता है ?
काश उनको ज्ञान होता ईसाई बहुल देश फिजी की घटनाओं का । फिजी एक छोटा सा देश है इस देश में हिन्दुओं की बड़ी संख्या है और इन हिन्दुओं को यहां बसे हुए 20-25 नहीं सैंकड़ों वर्ष हो गए हैं। सोचो जरा वहां पर हिन्दू को अल्पसंख्यक होने के नाते क्या विशेषाधिकार प्राप्त हैं ? अरे ! क्या बात करते हो , विशेषाधिकार तो दूर मूलाधिकार तक प्राप्त नहीं हैं। भारत में इन अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक बना दिये गए !
विश्वास नहीं होता तो ये जानो
कुछ वर्ष पहले यहां हुए चुनावों में फिजी की जनता ने एक हिन्दू श्री महेन्द्र चौधरी जी को प्रधानमन्त्री चुना। क्या वहां के ईसाईसों ने उन्हें प्रधानमन्त्री स्वीकार किया ? नहीं न , क्यों नहीं, जरा सोचो, हिन्दू जनसंख्या की कमी नहीं ,हिन्दू सैंकड़ों वर्षों से वहां बसे हुए हैं फिर भी विदेशी । यहां भारत में अभी कुछ वर्ष पहले आई एक विदेशी अंग्रेज (जो भारत-पाक युद्ध के दौरान भागकर अपने मूलदेश इटली के दूताबास में छिप गई । यह सोच कर कि कहीं अगर भारत की हार हो गई तो सुरक्षित इटली पहुँच जांऊ )को- हर तरह के झूठ बोलकर,नाम बदलकर,वेश बदलकर -भोले भाले शांतिप्रिय हिन्दुओं को फुसालाकर उसे भारतीय बताकर, उसके गुलाम बनने की होड़ ।
एक ईसाई जार्ज स्पीट उठा दर्जन भर स्टेनगनधारी युवक साथ लिए । चुने हुए प्रधानमन्त्री महेन्द्र चौधरी को बंधक बनाया जान से मारने की धमकी देकर त्यागपत्र लिखवाकर जान बख्सी । क्या वहां पुलिस नहीं थी ? सेना नहीं थी ?(भारतीय सेना को सोचना चाहिए) क्या वहां यू .एन. ओ. नहीं था ? सब कुछ था पर वहां क्योंकि ईसाई हिन्दुओं से ज्यादा हैं इसलिए ईसाई हित में सबकुछ जायज । हमारे भारत में कुछ वर्ष पहले आई एक अंग्रेज एंटोनियो, नाम बदल कर, वेश बदल कर ,सारी की सारी सरकार को गुलाम बनाकर बैठ गई । इसलिए यहां हिन्दूविरोध में सबकुछ जायज ।
जागो ! हिन्दू जागो !
हमें इस बात में कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस इटालिएन अंग्रेज के प्रभाव में आकर देशद्रोह-हिन्दूविरोध के रास्ते पर चल निकला है । परन्तु कांग्रेस में लम्बे समय से सक्रिय देशभक्त कार्य कर्ताओं की कमी नहीं, जो आज इन देशद्रोहियों की जुंडली की वजह से, योजनाबद्ध उपेक्षित किए जा रहे हैं व बड़ी जिम्मेबारियों से दूर रखे जा रहे हैं ।

6 comments:

  1. जाग्रतिप्रेरक लेख

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  2. By chance I found your blog, It very useful to any patriotic citizen. Your whole matter is based on material proof and evidence. I agree with you. Shyam Arya.

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  3. राष्ट्र भक्त देशवासिओं, सेकुलरवादी गिरोह के पृष्ठ पोषण से इन दिनों Peace TV Urdu नामक खतरनाक कट्टरवादी चैनल सरेआम मुसलमानों को जिहाद और ज्यादा से ज्यादा हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के लिए उकसा रहा है,जल्द से जल्द और जबरजस्त तरीके से अगर इसका विरोध नहीं हुआ तो आनेवाले समय की भयावहता कल्पना भी नहीं की जा सकती,देश के प्रबुद्ध नागरिकों,लेखकों और जननेताओं को बिना समय गवाए इसके निराकरण का उपाय ढूंड निकालना ही होगा,जल्द से जल्द इस चैनल पर कठोरता से प्रतिबन्ध लगाना होगा,नहीं तो इसके भयंकर परिणाम होंगे,पहले से ही अज्ञानता और कट्टरता के घनघोर अँधेरे गहरे कुएं में गिरे हुए इन मुसलमानों को यह चैनल और ज्यादा गहराई में धकेलने का काम खुल्लम खुल्ला कर रहा है,हर देश भक्त हिन्दू को चाहिए खुद जागृत होकर औरों को जगाएं या आने वाले कल में होने वाले भयंकर रक्तपात के लिए तैयार रहें I

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  4. इस्लाम के तथाकथित "विद्वान"( ? ) जाकिर नाइक इन दिनों Peace TV Urdu नामक घनघोर अज्ञान फैलाने वाले चैनल से खुल्लम खुल्ला पहले से ही अंधे मुसलमानों को और ज्यादा अँधा बनाने का काम बड़े जोर शोर से कर रहा है,आदरणीय शर्मा जी के इन जबरजस्त तार्किक तथ्यों का जवाब देने की हिम्मत है तो दे, घोर अज्ञानी मोहम्मद के समान घोर अज्ञानी ये जाकिर नाइक सारे भारत के इस्लामीकरण का सपना देख रहा है,इसमें जरा भी अकल नाम की कोई चीज होती तो ये महामूर्ख नाइक मुसलमानों को हिन्दुओं को इस्लाम की दावत देने की हिदायत देने की जगह मुसलमानों को संस्कार सीखने की सलाह देता,आज इस्लाम के झूठे अहंकार से प्रभावित मुस्लिम युवक पहले से ही मिथ्या अहंकार से भरे हुए हैं,ये महामूर्ख जाकिर नाइक उन अहंकार से भरे अंधे युवकों को और ज्यादा अज्ञान के गर्त में धकेलने का काम कर रहा है,इनके इन मुर्खता पूर्ण अहंकार को देख कर बरबस ही वो कहानी याद आती है,:एक मेढक का बच्चा पहली बार एक गाय को देखकर उसके आकार को देख बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ,उसने तुरंत अपनी माँ से जाकर कहा,माँ माँ, मैंने आज एक बहुत बड़ा जानवर देखा, अहंकारी माँ ने अपनी गलफड़े फुलाकर पूछा ,क्या इतना बड़ा? बच्चे ने कहा,नहीं माँ, और भी बड़ा,माँ ने अपनी गर्दन और ज्यादा फुलाकर पूछा,क्या इतना बड़ा? बच्चे ने कहा,नहीं माँ ये तो कुछ भी नहीं,इससे बहुत ज्यादा बड़ा,अहंकार से भरी माँ गुस्से से तिलमिलाकर और ज्यादा अपने आपको फुलाने की कोशिश की,और उसका पेट ही फट गया और वो चल बसी I ठीक उसी प्रकार जाकिर नाइक सरीखे ये तमाम मुल्ला मौलवी झूठे इस्लामी अहंकार से भरे हुए अपने खोखले दिमाग से इस्लाम और मुसलमानों को "सबसे बेहतरीन मजहब" और सबसे "बेहतरीन उम्मा" साबित करने के चक्कर में सारे मुस्लिम आवाम को ही भयंकर तबाही की तरफ ले जा रहे है, ये खुल्लम खुल्ला मुसलमानों से आहवान कर रहे हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा हिन्दुओं को मुसलमान बनाये,उनके इस बेहुदे, बेहद मुर्खता पूर्ण भयंकर खतरनाक कदमो का नतीजा ये होगा,पुरे देश में भयानक दंगे की आग सुलगेगी,और फिर इनका अंजाम उसी अहंकारी मेढक जैसी ही होगी, ये इतने बेवकूफ हैं, गुजरात से इन्हें सबक नहीं मिली,ख्वाब देख रहे हैं पुरे भारत के इस्लामी करन की, ये इतने बड़े अंधे हैं,मजहब के नाम से भारत से अलग स्थापित किये गए पकिस्तान की खतरनाक और दयनीय स्थिति इन्हें दिखाई नहीं देती,ये इतने बड़े नमकहराम हैं, मजहब के नाम पर देश के तीन टुकड़े करने के बावजूद पुरे सम्मान,सौहार्द और आजादी के साथ देश में रहने का जो अवसर इन्हें दिया गया, उसका अहसान ये बेईमान लोग पुरे देश का इस्लामीकरण करके चुकाना चाहते हैं, इसका मतलब अब इस्लाम और मुसलमानों का अहंकार अपने चरम सीमा तक पहुँच गया है, अब इनके समूल खात्मे को भगवान भी रोक नहीं सकते, ये अपने सबसे बड़े आत्मघाती मंजिल तक बस पहुँचने ही वाले हैं, भगवान से प्रार्थना है कि इनके समूल सफाए के पहले किसी तरह इनको थोड़ी सी अकल मिल जाये,ताकि अपने साथ साथ पुरे मुस्लिम आबादी को बेमौत मरने से बचा सकें I

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  5. जनाब जाकिर नाइक साहब, आप मुसलमानों को बरगलाने का काम कर रहे हैं,अब मुसलमान बेवकूफ नहीं रहे,आप जैसे कट्टर उलेमा,मुल्ला मौलवी लोग मुसलमानों को दिन रात भड़का रहे हैं,आपको पता नहीं इसका अंजाम कितना खतरनाक होगा,देश में भयानक दंगे भड़केंगे,इसके लिए केवल आप और आप जैसे कट्टर खतरनाक लोग जिम्मेवार होंगे,लेकिन हम देश के अमन पसंद मुस्लिम आप लोगों के इन खतरनाक मंशुबों को कामयाब नहीं होने देंगे,हम लोगों ने आप जैसे इंसानियत के दुश्मनो के खिलाफ मुहीम छेड़ दी है,हम इन web links को सारे देश के मुस्लिम भाइयों को Forward कर रहे हैं,ताकि वे सच्चाई से रूबरू हो सके,अल्लाह आप लोगो को थोड़ी सी अक्ल दे ताकि आप लोग इस खतरनाक काम से तौबा कर सके,आप लोग हिन्दू मुस्लिम एकता और भाईचारे के सबसे बड़े दुश्मन हैं,आप लोग नहीं चाहते हिन्दू मुस्लिम भाईचारे के साथ अमन और चैन से रहें,आप भयानक दंगे की राह बना रहे हैं, दंगे की आग सुलगने पर आप लोग तो आलिशान महलों में शान से बैठ कर दंगों का नजारा देखते रहेंगे और खून बहेगा बेकसूर हिन्दू मुस्लिम आवाम का,तो अब हम ऐसा होने नहीं देंगे,हमने सारे अमन पसंद मुस्लिम आवाम कि आँखे खोलने का और आप लोगों के खतरनाक मंसूबों पर पानी फेरने की कसम खा ली है,आपको अगर ये सेकुलर हिन्दुस्तान नहीं भा रहा तो शौक से पकिस्तान या किसी भी मुस्लिम मुल्क में जाकर रहें और अपना "इस्लामी जिहाद" फैलाते रहें,पर इस अमन और चैन की धरती हिंदुस्तान को अपने गलत कामो से और गंदा न करें I

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    1. thanks, Gulam Bhai....We need more muslims like you to ensure peace in our country...Jai Hind Jai Bharat

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